"मम्मा" किसी काम से बाहर गयी थी, मेरे Exams आने वाले थे पहली बार 4Rth Standard में मुझे उनसे दूर होना पड़ा, रो रोकर मेरा बुरा हाल था, माचिस की जली हुई तीलियों से मैंने किचेन की दीवाल पर एक ही शब्द लिख रखा था। "माँ" "माँ " "माँ" मेरे उस शब्द का शायद ही कोई मतलब समझ पाया हो की मैंने वो क्यों लिखा है। हर कोई तो था मेरे साथ। दादी पिता जी, भाई। सिर्फ कुछ दिनों तक "मम्मा" मुझसे दूर थी। बहुत कठोर थे वो दिन। आज जब मै कंप्यूटर पर Work करता हूँ मुझे देर होती है तो "मम्मा" कहती है - "लड़के क्यों अपनी सेहत खराब कर रहा है, वक़्त पर खाना तो खा लिया कर" ईमानदारी से कहूँ मै उस वक़्त उनकी बात अनसुनी करता हूँ । मगर फिर एहसास होता है मेरा मन मुझसे बातें करता है और कहता है - मै गलत हूँ ठीक ही तो कहती है वो, अगर आज नहीं सीखूंगा तो कब सीखूंगा। कहीं बाहर जाता हूँ मुझे वक़्त पर खाना नहीं मिलता तो सिर्फ उनकी ही याद आती है।
दोस्तों हम कहीं भी रहें माँ से दूर माँ के पास। हमें फिक्र हो न हो माँ हर वक़्त हमारी फिक्र में रहती है।
खैर मै जो करता हूँ करना चाहता हूँ। सिर्फ अपने लिए नहीं, उसमे उनको भी ख़ुशी होगी। जानता हूँ मुझे कैसे कब क्या करना है ?
कोशिश करूँगा उन्हें शिकायत का मौक़ा फिर न दूँ। और वो खुशियाँ जिनका आभाव है ज़िन्दगी में एक-एक करके उन्हें लाकर दे सकूँ।
आप सभी को Happy Mothers Day :)
कुछ पंक्तियाँ "माँ" के लिए .... जो उसके प्रेम और त्याग के आगे बहुत छोटी है ....
असर देखना है देख ले,
उसकी दुआओं का फल देख ले,
दुनिया में होंगे बहुत से आलीशान
महल तो क्या ?
तू उसकी ममता का बसर देख ले,
मिला है जो नसीब से वो माँ का प्यार,
उससे जीत सकता है दुनिया को जीत ले,
झोली भर नहीं सकता उसकी आखरी सांस तक,
वो मंदिर वो मस्जिद वो गीता वो कुरान,
वो शाह-ए-मदीना वो चारो धाम,
वो निस्वार्थ प्रेम की गंगा एक ,
बिगड़ा नहीं अभी भी कुछ ,
तू उससे कुछ तो सिख ले
ला सकता है तो ले आ, "माँ" के चरणों में
ये आसमान तक ,
तू "माँ" का लाल ....ले चल हाँथ थामे सबको,
दुनिया को नयी सिख दे ,
क़यामत कितनी भी आये,
युग युग बदल जाएँ,
ये प्यार नहीं बदल सकता ,
माँ का ममता रूपी संसार नहीं बदल सकता,
देखे होंगे बहुत से शहर तो क्या ?
तू उसके दिल का भी एक शहर देख ले,
फिक्र में बच्चों के बूढ़ी हो जाती है वो "माँ"
तू उसको एक नज़र देख ले,
कौन कहता है वो मांगती है तुझसे सोना चांदी,
बस उसे न कभी तकलीफ दे,
उसे भी प्यार दे,
अपनी ज़िन्दगी उस पर भी वार दे,
खुश होगी वो लाख दुआओं से झोली भरेगी तेरी,
मज़े लूटे होंगे तूने बड़े शौक से कई सारे तो क्या ?
तू ममता की जन्नत का मज़ा भी देख ले,
वो जिसमे तेरा नुक्सान नहीं होगा,
जीना हराम नहीं होगा,
तू उस रिश्ते की एक झलक देख ले ....:))*
~ प्रसनीत यादव ~
दोस्तों हम कहीं भी रहें माँ से दूर माँ के पास। हमें फिक्र हो न हो माँ हर वक़्त हमारी फिक्र में रहती है।
खैर मै जो करता हूँ करना चाहता हूँ। सिर्फ अपने लिए नहीं, उसमे उनको भी ख़ुशी होगी। जानता हूँ मुझे कैसे कब क्या करना है ?
कोशिश करूँगा उन्हें शिकायत का मौक़ा फिर न दूँ। और वो खुशियाँ जिनका आभाव है ज़िन्दगी में एक-एक करके उन्हें लाकर दे सकूँ।
आप सभी को Happy Mothers Day :)
कुछ पंक्तियाँ "माँ" के लिए .... जो उसके प्रेम और त्याग के आगे बहुत छोटी है ....
असर देखना है देख ले,
उसकी दुआओं का फल देख ले,
दुनिया में होंगे बहुत से आलीशान
महल तो क्या ?
तू उसकी ममता का बसर देख ले,
मिला है जो नसीब से वो माँ का प्यार,
उससे जीत सकता है दुनिया को जीत ले,
झोली भर नहीं सकता उसकी आखरी सांस तक,
वो मंदिर वो मस्जिद वो गीता वो कुरान,
वो शाह-ए-मदीना वो चारो धाम,
वो निस्वार्थ प्रेम की गंगा एक ,
बिगड़ा नहीं अभी भी कुछ ,
तू उससे कुछ तो सिख ले
ला सकता है तो ले आ, "माँ" के चरणों में
ये आसमान तक ,
तू "माँ" का लाल ....ले चल हाँथ थामे सबको,
दुनिया को नयी सिख दे ,
क़यामत कितनी भी आये,
युग युग बदल जाएँ,
ये प्यार नहीं बदल सकता ,
माँ का ममता रूपी संसार नहीं बदल सकता,
देखे होंगे बहुत से शहर तो क्या ?
तू उसके दिल का भी एक शहर देख ले,
फिक्र में बच्चों के बूढ़ी हो जाती है वो "माँ"
तू उसको एक नज़र देख ले,
कौन कहता है वो मांगती है तुझसे सोना चांदी,
बस उसे न कभी तकलीफ दे,
उसे भी प्यार दे,
अपनी ज़िन्दगी उस पर भी वार दे,
खुश होगी वो लाख दुआओं से झोली भरेगी तेरी,
मज़े लूटे होंगे तूने बड़े शौक से कई सारे तो क्या ?
तू ममता की जन्नत का मज़ा भी देख ले,
वो जिसमे तेरा नुक्सान नहीं होगा,
जीना हराम नहीं होगा,
तू उस रिश्ते की एक झलक देख ले ....:))*
~ प्रसनीत यादव ~