Friday, 6 June 2014

बात बेबात पर/06-06-14

अब न कोई आस अधूरी होगी
न प्यास अधूरी होगी
खुदा ने चाहा इच्छा जरूर
पूरी होगी <3

~ प्रसनीत ~
०६/०२/१४

कितने ही सवालों का जवाब हूँ मैं
हूँ शोला कोई या आफ़ताब हूँ मैं
गिनती क्या करते हो मेरे वज़ूद की
तुम्हारी दुनिया में बेहिसाब हूँ मैं
तिनका ही समझो तुम्हारी मर्ज़ी
नहीं पता अच्छा या खराब हूँ मैं
जानता नहीं कुछ बस इतना पता है
तुम्हारे अँधेरे रास्तों का चिराग हूँ मैं।

~ प्रसनीत यादव ~
०६/०५/१४

हम हवाओं में पतंगों को छोड़ दिया करते हैं
नाज़ुक रिश्तों के धागों को तोड़ दिया करते हैं
गीत कभी लिखते हैं ग़ज़ल कभी कहते हैं
यूँ शब्दों से टूटे हुए को जोड़ दिया करते हैं
दिल के आशियाने में प्यार का जहाँ बना
हम रिश्तों में मिठास घोल दिया करते हैं
कोई न रह जाए तन्हा हमारी परछाई में
हम गैरों को भी बड़ा मोल दिया करते हैं
कितनी ही तलाश कर लो अधूरा रहता है कुछ
हम खुली किताब सा दिल खोल दिया करते हैं।
मीठी मीठी बातों से किसी को क्या लुभाना
जो दिल में आये साफ़ बोल दिया करते हैं।

~ प्रसनीत यादव ~
०६/०५/१४

आज कोई बहाना मत बनाओ
मुझे फिर दीवाना मत बनाओ
क्या है चाल तुम्हारी समझ आती नहीं
नज़रों का तीर न चलाओ
फितरत बदल चुकी है कई बार तुम्हारी
नीयत बदल चुकी है कई बार तुम्हारी
होंगे न घायल हम ऐसे न मुस्कुराओ
आज कोई बहाना मत बनाओ
मुझे फिर दीवाना मत बनाओ।

~ प्रसनीत यादव ~
०६/०६/१४

जब मोहब्बत की पहली किताब लिखी थी
जज़्बातों की आंधी में
जाने कितनी ही बात लिखी थी
तू समझी थी बावला मगर सुन बावली
तड़प कर मेरी रूह ने उस दिन
स्याही से अपने दिल की आवाज़ लिखी थी
कोरे पन्नो में तेरी करामात लिखी थी
मैंने एक शुरुआत लिखी थी ।

~ प्रसनीत यादव ~
०६/०६/१४



  

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