जाने किस गली घूमता मन जाने किसे ढूँढता मन,
यादों के बचपन मे फिर करने चला शरारत,
जाने किस बिछड़े मीत का पता पूंछता मन,
जाने कौन सी हरकत करना चाहे,
आज फिर कोई खेल खेलना चाहे,
आम की डाली पर यादों के सुहाने झूले झूलता मन,
आज फिर झूमता मन मदमस्त अपनी मस्ती मे,
बहती नाव मे बैठ साथियों के संग,
आज पुराने तरानो को फिर छेड़ता मन,
निकाल तनहाई से बाहर भीड़ मे शामिल हो पंख फैलाये,
मोर की तरह नाचता मन,
जाने किस डगर झाँकता मन किसे ताकता मन,
मेरी खुशियों के खातिर दूर बहुत दूर भागता मन,
जाने किस गली....:))*
~ Prasneet Yadav ~
यादों के बचपन मे फिर करने चला शरारत,
जाने किस बिछड़े मीत का पता पूंछता मन,
जाने कौन सी हरकत करना चाहे,
आज फिर कोई खेल खेलना चाहे,
आम की डाली पर यादों के सुहाने झूले झूलता मन,
आज फिर झूमता मन मदमस्त अपनी मस्ती मे,
बहती नाव मे बैठ साथियों के संग,
आज पुराने तरानो को फिर छेड़ता मन,
निकाल तनहाई से बाहर भीड़ मे शामिल हो पंख फैलाये,
मोर की तरह नाचता मन,
जाने किस डगर झाँकता मन किसे ताकता मन,
मेरी खुशियों के खातिर दूर बहुत दूर भागता मन,
जाने किस गली....:))*
~ Prasneet Yadav ~
No comments:
Post a Comment