Monday, 6 May 2013

07/May/2013

3 मई १९१३ दादा साहब फाल्के की अगुवाई में आगाज़ हुआ हिन्दुस्तानी सिनेमा का। ३ मई २०१३ अब हम पुरे १०० वर्षों का सफ़र तय कर चुके है। राजा हरिश्चन्द्र से अब तक फिल्मो का हिसाब लगा पाना मुश्किल है, हमने हर दौर को जिया है ५०, ६०, ७०, ८०, ९० हर दौर कुछ कहता है अपने अपने वक़्त में ढला हुआ। हर दौर का फिल्मांकन, कहानी, गीत-संगीत हमें आज भी अपने-अपने दशक के उसी पुराने दौर में ले जाता है, हमने सिनेमा का इतिहास रचा है।

शोले, मुगले आज़म, आवारा, मदर इंडिया, ऐसे और भी कई नाम है जो दिलों की स्क्रीन पर छाये हुए है, जिससे सिनेमाई परदे आज भी शान से चमक रहे है। जिनकी बुनियाद पर पूरा बालीवुड खड़ा है। दशक कोई भी रहा हो कुछ देकर कुछ कहकर गया। चुनिन्दा सितारे और कभी जेहन से न मिटने वाली कुछ चुनिन्दा फिल्में।

आज हमारे पास १०० साल का बालीवुड है। दादा साहब फाल्के की खास पहल ने आज  एक ऐसी इंडस्ट्री खड़ी की है जिसकी नीव मज़बूत है और उस पर खड़ा है आलिशान महल रूपी बालीवुड का भविष्य .... हमारे पास है एक ऐसी धरोहर जो पुराने लोग हमें देकर गए। दौलत शोहरत, सपनो से ओत-प्रोत नाम और मेहनत  का बालीवुड। कभी DDLJ के रंग में , कभी KKHH के रंग में, कभी Munna Bhai, कभी Three Idiots और भी कई कामयाब फिल्मो से रंगा ये बालीवुड। आइये १०० वर्षों का सफ़र पूरा कर चुके बालीवुड के साथ उसके उत्सव में हम सब शामिल हों।

~ प्रस्नीत  यादव ~
      


                

No comments:

Post a Comment