Saturday, 11 May 2013

Happy Mothers Day :) ~ 12/052013 ~

"मम्मा" किसी काम से बाहर गयी थी, मेरे Exams आने वाले थे पहली बार 4Rth Standard में मुझे उनसे दूर होना पड़ा, रो रोकर मेरा बुरा हाल था, माचिस की जली हुई तीलियों से मैंने किचेन की दीवाल पर एक ही शब्द लिख रखा था। "माँ" "माँ " "माँ" मेरे उस शब्द का शायद ही कोई मतलब समझ पाया हो की मैंने वो क्यों लिखा है। हर कोई तो था मेरे साथ। दादी पिता जी, भाई। सिर्फ कुछ दिनों तक "मम्मा" मुझसे दूर थी। बहुत कठोर थे वो दिन। आज जब मै कंप्यूटर पर Work करता हूँ मुझे देर होती है तो "मम्मा" कहती है - "लड़के क्यों अपनी सेहत खराब कर रहा है, वक़्त पर खाना तो खा लिया कर" ईमानदारी से कहूँ मै उस वक़्त उनकी बात अनसुनी करता हूँ । मगर फिर एहसास होता है मेरा मन मुझसे बातें करता है और कहता है - मै गलत हूँ ठीक ही तो कहती है वो, अगर आज नहीं सीखूंगा तो कब सीखूंगा। कहीं बाहर जाता हूँ मुझे वक़्त पर खाना नहीं मिलता तो सिर्फ उनकी ही याद आती है।
दोस्तों हम कहीं भी रहें माँ से दूर माँ के पास। हमें फिक्र हो न हो माँ हर वक़्त हमारी फिक्र में रहती है।
खैर मै जो करता हूँ करना चाहता हूँ। सिर्फ अपने लिए नहीं, उसमे उनको भी ख़ुशी होगी। जानता हूँ मुझे कैसे कब क्या करना है ?
कोशिश करूँगा उन्हें शिकायत का मौक़ा फिर न दूँ। और वो खुशियाँ जिनका आभाव है ज़िन्दगी में एक-एक करके उन्हें लाकर दे सकूँ।

आप सभी को Happy Mothers Day :)
कुछ पंक्तियाँ "माँ" के लिए .... जो उसके प्रेम और त्याग के आगे बहुत छोटी है ....    


असर देखना है देख ले,
उसकी दुआओं का फल देख ले,
दुनिया में होंगे बहुत से आलीशान
महल तो क्या ?
तू उसकी ममता का बसर देख ले,
मिला है जो नसीब से वो माँ का प्यार,
उससे जीत सकता है दुनिया को जीत ले,
झोली भर नहीं सकता उसकी आखरी सांस तक,
वो मंदिर वो मस्जिद वो गीता वो कुरान,
वो शाह-ए-मदीना वो चारो धाम,
वो निस्वार्थ प्रेम की गंगा एक ,
बिगड़ा नहीं अभी भी कुछ ,
तू उससे कुछ तो सिख ले
ला सकता है तो ले आ, "माँ" के चरणों में
ये आसमान तक ,
तू "माँ" का लाल ....ले चल हाँथ थामे सबको,
दुनिया को नयी सिख दे ,
क़यामत कितनी भी आये,
युग युग बदल जाएँ,
ये प्यार नहीं बदल सकता ,
माँ का ममता रूपी संसार नहीं बदल सकता,
देखे होंगे बहुत से शहर तो क्या ?
तू उसके दिल का भी एक शहर देख ले,
फिक्र में बच्चों के बूढ़ी हो जाती है वो "माँ"
तू उसको एक नज़र देख ले,
कौन कहता है वो मांगती है तुझसे सोना चांदी,
बस उसे न कभी तकलीफ दे,
उसे भी प्यार दे,
अपनी ज़िन्दगी उस पर भी वार दे,
खुश होगी वो लाख दुआओं से झोली भरेगी तेरी,
मज़े लूटे होंगे तूने बड़े शौक से कई सारे तो क्या ?
तू ममता की जन्नत का मज़ा भी देख ले,
वो जिसमे तेरा नुक्सान नहीं होगा,
जीना हराम नहीं होगा,
तू उस रिश्ते की एक झलक देख ले ....:))*

~ प्रसनीत यादव ~








Wednesday, 8 May 2013

Me & Cinema 09/05/2013

~  सिनेमा से मेरी पहली मुलाकात  09/05/2013 ~

वक़्त था शाम के शो का तब मै बहुत छोटा था पूरी फिल्म तो याद नहीं हाँ २-४ seen और एक गाना याद  है,  उस समय कुछ नहीं मालूम था बालकनी क्या है ? first n Family क्या है, और तो मुझे ये भी नहीं पता था कहाँ था मै ? सिनेमा हाल जैसी भी चीज़ होती है और जिसे मै देख रहा उसे फिल्म कहते है। शो कब शुरू हुआ कब ख़त्म पता न चल सका। हाँ ये जरूर पता है मैंने सिर्फ आधा पौन घंटा ही फिल्म देखि होगी बाकी Time जम्हाई ले लेकर नींदे मारता रहा। कानपुर के किसी सिनेमा हाल की बात है ये। जहाँ पहली बार मैंने एक फिल्म देखि।
माँ , पिताजी छोटे भाई के साथ। संजय दत्त, सलमान खान और माधुरी दिक्षित  जैसे सितारों से सजी ये फिल्म थी "साजन" इस फिल्म के सारे गाने एवर ग्रीन हैं। लेकिन इसका एक गाना उस दिन पहली बार मैंने सुना। बचपन का वो एहसास आज भी ज़िंदा है। उस दिन की हल्की सी झलक जो छाप सिनेमा की मेरे दिल में बस गयी ये गाना उसी का एक अंश है "तू शायर है मै तेरी शायरी"
ये फिल्म मुझे पसंद है पहले जैसी तब से इसे न जाने कितनी बार देख चुका हूँ मगर उस दिन सिनेमा से मेरी पहली मुलाकात की बात ही कुछ और थी। Dedicate करता हूँ इस फिल्म का एक गाना आप सबको जो मेरे दिल  के बहुत करीब है अनुराधा पौडवाल की मीठी सी आवाज़ में "बहुत प्यार करते है तुमको सनम" ।  I  Always Miss My 90's । सिनेमा के साथ जुड़े मेरे अपने किस्से आगे भी शुरू रहेंगे। सिनेमा के १०० वर्षों के जश्न में इतना तो बनता ही है :)

TO BE CONTINUED....

http://www.youtube.com/watch?v=KdtlfPMbKGs&feature=player_detailpage


~ 11/05/2013 ~

बात ८० के दशक की हो और ये गाना जुबान पर ना आये ऐसा कैसे हो सकता है। बिग बी और ऋषी कपूर पर फिल्माया गया ये गाना ८० के दशक के गीत संगीत फ़िल्मी विधा और उस वक़्त के सिनेमाई मिर्च मशाले का एक बेजोड़ नमूना है। उस पर बिग बी और ऋषी कपूर की अदाकारी के कहने ही क्या जो इस गाने पर चार चाँद लगा गए। ८० के दशक के शुरुआत में Year १९८१ फिल्म "नसीब" का यह गाना जितना सुनने में अच्छा लगता है उससे कहीं ज्यादा देखने में भी। इस गाने को देखकर मुझे अपने Friend Ritu Raj की याद ज़रूर आती है, सोचता हूँ नसीब २ बनाऊं और यह गाना फिर से नए तरीके से फिल्माऊ। और उस गाने में Ritu Raj को ज़रूर शामिल करूँ। आइये लौट कर चलते है फ़्लैश बैक में जब यह फिल्म बनायी गयी। इस गाने को सुनकर उस वक़्त को महसूस करते है। उस वक़्त को जीते है। थोड़ा सा झूमते है। मै तो चला Ritu Raj को मनाने आप एंजॉय करिए रफ़ी साहब, बिग बी की और ऋषी कपूर के इस Combination को ....

From Movie - Naseeb (1981 )

SonG - "ChaL Mere Bhai" ( Its An Ideal Song for Sibling Affection And Care )

Playback -Amitabh Bachchan, Moh. Rafi

Music -Laxmikant Pyarelal

http://www.youtube.com/watch?v=GWcFRGSXcZA&feature=player_detailpage








Monday, 6 May 2013

07/May/2013

3 मई १९१३ दादा साहब फाल्के की अगुवाई में आगाज़ हुआ हिन्दुस्तानी सिनेमा का। ३ मई २०१३ अब हम पुरे १०० वर्षों का सफ़र तय कर चुके है। राजा हरिश्चन्द्र से अब तक फिल्मो का हिसाब लगा पाना मुश्किल है, हमने हर दौर को जिया है ५०, ६०, ७०, ८०, ९० हर दौर कुछ कहता है अपने अपने वक़्त में ढला हुआ। हर दौर का फिल्मांकन, कहानी, गीत-संगीत हमें आज भी अपने-अपने दशक के उसी पुराने दौर में ले जाता है, हमने सिनेमा का इतिहास रचा है।

शोले, मुगले आज़म, आवारा, मदर इंडिया, ऐसे और भी कई नाम है जो दिलों की स्क्रीन पर छाये हुए है, जिससे सिनेमाई परदे आज भी शान से चमक रहे है। जिनकी बुनियाद पर पूरा बालीवुड खड़ा है। दशक कोई भी रहा हो कुछ देकर कुछ कहकर गया। चुनिन्दा सितारे और कभी जेहन से न मिटने वाली कुछ चुनिन्दा फिल्में।

आज हमारे पास १०० साल का बालीवुड है। दादा साहब फाल्के की खास पहल ने आज  एक ऐसी इंडस्ट्री खड़ी की है जिसकी नीव मज़बूत है और उस पर खड़ा है आलिशान महल रूपी बालीवुड का भविष्य .... हमारे पास है एक ऐसी धरोहर जो पुराने लोग हमें देकर गए। दौलत शोहरत, सपनो से ओत-प्रोत नाम और मेहनत  का बालीवुड। कभी DDLJ के रंग में , कभी KKHH के रंग में, कभी Munna Bhai, कभी Three Idiots और भी कई कामयाब फिल्मो से रंगा ये बालीवुड। आइये १०० वर्षों का सफ़र पूरा कर चुके बालीवुड के साथ उसके उत्सव में हम सब शामिल हों।

~ प्रस्नीत  यादव ~