मुझे कुछ नहीं कहना
कहकर होगा क्या ?
अच्छा है खामोश ही रहूँ
कुछ नहीं हुआ
चोट लगी है
थोडा घाव और गहरा हुआ है
कई बार एक ही जगह
चोट लगने से
ये तो रोज का काम है
थोड़े से आंसू बहे है
आँखों से पानी के कतरे समझो
उम्मीद टूटी है
सौ, दो सौ पता नहीं कितनी बार
रिश्तो में खटास आई है
ऐसा पहली बार नहीं हुआ
जब मैंने कुछ लिखा है
खैर अब क्या कहू
इसे ज़िन्दगी का एक हिस्सा
समझकर स्वीकार करता हूँ
अपनी ही तो है ये ज़िन्दगी
जैसी भी है,
प्रश्न -हल , दर्द -दवा ....:))*
~ प्रस्नीत यादव ~
कहकर होगा क्या ?
अच्छा है खामोश ही रहूँ
कुछ नहीं हुआ
चोट लगी है
थोडा घाव और गहरा हुआ है
कई बार एक ही जगह
चोट लगने से
ये तो रोज का काम है
थोड़े से आंसू बहे है
आँखों से पानी के कतरे समझो
उम्मीद टूटी है
सौ, दो सौ पता नहीं कितनी बार
रिश्तो में खटास आई है
ऐसा पहली बार नहीं हुआ
जब मैंने कुछ लिखा है
खैर अब क्या कहू
इसे ज़िन्दगी का एक हिस्सा
समझकर स्वीकार करता हूँ
अपनी ही तो है ये ज़िन्दगी
जैसी भी है,
प्रश्न -हल , दर्द -दवा ....:))*
~ प्रस्नीत यादव ~
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