Monday, 24 December 2012

~ Merry Christmas ~

आलस्य में जकड़े हुए खिड़की से बाहर देखते है तो पाते है। प्रकृति  सफ़ेद चादर से ढकी हुई है पेड़ फूल पत्ती सबमे नया शृंगार है नया आकर्षण, हिम की फुहारें बरस रही है। खिडकियों के शीशे जो पूरी तरह भीगे हुए है। उन्हें खोलते ही मंद ठंडी हवा का झोंका हमें स्पर्श कर रहा है। कुछ नयापन सा घुल गया है चारो तरफ। हमें इंतज़ार है उस पल का जब कोई आकर तोहफे दे और कहे 'मेर्री क्रिसमस'। हम इन फुहारों के बीच खेलें भीगे, अपने अन्दर  उत्साह भरकर बर्फ की ठंडी ठंडी राहों पर कदम रखें, वाइट क्रिसमस का मज़ा लें, ख़ुशी  से झूमते हुए संता क्लाज़ के दिए तोहफे के संग जिंगल बेल जिंगल बेल गाते रहें। एक जुट होकर क्रिसमस यानि बड़े दिन का सबक लें। एक दुसरे के लिए प्रार्थना करें एक दुसरे का सम्मान करें। साथ ही साथ यह भी प्रार्थना करें आने वाले साल हमारा समाज अपराध मुक्त हो , प्रेम का प्रकाश फैले। ईशु ने कहा था प्रकाश हर घर में हो कोई भी घर उससे वंचित न रह जाए। दिल बड़ा हो तभी हम सही अर्थों में किसी का सम्मान किसी से प्रेम करेंगे।

मेरे सभी मित्रों को इस दिन की ढेर सारी शुभकामनाओ सहित सफलता सुख चैन आपके जीवन में व्याप्त हो ज़िन्दगी ऐसे ही चलती रहे। ~ Merry Christmas ~

~ Prasneet Yadav ~






Saturday, 8 December 2012

FamiLy Sunday Have A FuN Day :) )


हफ्ते भर की भागदौड़ , स्कूल ,कॉलेज, जॉब इन सब से दूर आता है सन्डे , फैमिली के साथ कुछ पल बिताने , टीवी पर अपने पसंद की कोई मूवी दिखाने या मनपसंद गाने सुनाने वो जो बचपन की यादों से जुड़ी है उन यादों को जिन्दा करने, आप देल्ही रहो या मुंबई सन्डे सबके लिए  ख़ास है, गाँव में रहो या शहर में  जेहन में सबके अपना अपना सन्डे बसा हुआ है , वो जिनकी जॉब सन्डे को भी होती है वो भी अपना सन्डे मिस करते है, सुबह बेफिक्र होकर अलसाये हुए से बिस्तर पर पड़े रहना यूँ तो कुछ की रोज की आदत है लेकिन सन्डे के दिन इसका अपना अलग ही मज़ा है , अलार्म क्लॉक की बजती हुई रिंग जब हमारी नींद में खलल डालती है , बार बार हम उसे बंद करते है , और आलस्य में जकड़े हुए नर्म गर्म बिस्तर में फिर से दुबक जाते है , सुबह शुरू करने  का अंदाज़ सबका अलग है कोई उठते ही चाय की चुस्कियां लेता है कोई आँख मलते हुए न्यूज़ पेपर के फ्रंट  पन्ने पर नज़र  डालता है , ये सन्डे आता है प्यार लेकर वो प्यार जो आपको हफ्ते भर  नहीं मिलता, अपनों का प्यार ,  हफ्ते बाद  ढंग से घर का खाना , माँ के हाँथ का पत्नी के हाँथ का या फिर बहेन के हाँथ का, अच्छा लगता है , मन जो  परेशान होता सारी टेंशन कुछ पल के लिए दूर हो जाती है , यूँ तो हर दिन खास है मै ये नहीं कहता सन्डे बहुत खास है , फिर भी अपनों के बीच रहने का अपनी ज़िन्दगी में शामिल होने का ये छुट्टी का दिन जो मौका लेकर आता है वो पल बहुत खास है , आप सबका दिन अच्छा हो पुरानी कुछ यादें ताज़ा हों जिससे आपके होंठों पर मुस्कान खिल सके ….:))*

~ Prasneet Yadav ~




Friday, 7 December 2012

अपनी ही तो है ये ज़िन्दगी

मुझे कुछ नहीं कहना
कहकर होगा क्या ?
अच्छा है खामोश ही रहूँ
 कुछ नहीं हुआ
चोट लगी है
थोडा घाव और गहरा हुआ है
कई बार एक ही जगह
चोट लगने से
 ये तो रोज का काम है
थोड़े से आंसू बहे है
आँखों से पानी के कतरे समझो
उम्मीद टूटी है
सौ, दो सौ पता नहीं कितनी बार
रिश्तो में खटास आई है
ऐसा पहली बार नहीं हुआ
जब मैंने कुछ लिखा है
खैर अब क्या  कहू
इसे ज़िन्दगी का एक हिस्सा
समझकर स्वीकार करता हूँ
अपनी ही तो है ये ज़िन्दगी
जैसी भी है,
प्रश्न -हल , दर्द -दवा ....:))*

~ प्रस्नीत यादव ~

Wednesday, 5 December 2012

Wo Subah Kabhi To Aayegi

Zindagi Jhanke Zindagi Me,
Wo Subah Kabhi To Aayegi,

Meetha Sa Geet Sunane,,
Chukar Mere Tan Man Ko,
Chupke Se Kah Jaayegi ,
Tujhse Milne Aayi Hun ,
Sang Tere Waqt Bitane ,
Dekh Jara Tere Liye
Muskaan Kitni Layi Hun,
Aaja Meri Aagosh Me,
Kyu Baitha Hai Tanha Tanha,
Jeene Ka Raj Wo Mujhko
Batlayegi,
Wo Subah Kabhi To Aayegi,
Wo Subah Kabhi To Aayegi....:))*

~ Prasneet Yadav ~




रात है तन्हाई भी

 अपना क्या बेगाना क्या 
रात है तन्हाई भी 
मै अकेला तो नहीं 
है  कई सारे ख्याल साथ
और भी ,
जो  मुझसे  बातें  करते  है
कमबख्त  सोने भी  नहीं  देते
मुझसे  सवाल करते  है
इस  तन्हाई  में  कितना  सुकूं  है
और झुंझलाहट  भी ,
यादों  के  धागे  आकस्मात  खुल
पड़ते  है ,
पतंगे  उड़ चलती  हैं  आसमान
में  ,
गगन  के  छोर  तक
मै  अकेला  थामे  डोर
उड़ाता  फिरता  रात  में 

मेरी  उड़ती पतंग  मुस्कुराती हुई 
पास कभी दूर जाती हुई ,
एकाएक  फिर  सिमट  जाती  है  डोर 
कब  आ जाती  है  मुझे  नींद,
कब  ख्यालों  से बाहर  निकल
आता  मै ....:))*

~ प्रस्नीत  यादव  ~