Sunday, 15 September 2013

मेरा खोया चाँद

फिर किसी और दिन आना ऐ  चाँद आज दिल नहीं लगता ,
अन्धेरा रहने दो,
उसकी रौशनी याद आएगी जो तेरी रोशनी देखी मैंने ,
फिर किसी और दिन आना दिल लगाने आज दिल नहीं लगता ,
क्या कहूँ क्या नहीं ?
दर्द मेरा किसी और को न बताना बस ,
 जाऊं कहाँ यहीं रहने दो आज ,
 जाओ चले आये जहां  तुम ,
अकेला रहना मुझे
खिला करती थी मेरे होंठों पर मुस्कान ,
मुस्कुराने में आज दिल नहीं लगता ,
चाँद हो तुम दुनिया तुम्हे जाने ,
कितने आशिकों की तुम पहचान
क्या तुम्हे पता नहीं किस कदर टूटे मेरे अरमान ,
किया करता था तुमसे अपने चाँद की तुलना ,
तुम्हारी  चाँदनी में बैठकर ,
किया करता था कितनी सारी बातें ,
है कोई हिसाब बताओ ज़रा गुज़री कितनी रातें ,
क्या जानो तुम मेरी बेबसी ,
क्या जानो तुम मेरे उस चाँद के खो जाने का गम ,
जब वो चाँद नहीं ,
अन्धेरा  ही रहने दो फिर किसी और दिन आना ,
उस चाँद के बिना तुम भी अधूरे ,
उसके बिना आज दिल नहीं लगता।

~ प्रसनीत यादव ~

© PRASNEET YADAV










दोस्ती के नाम

आँखों में थोड़ी सी नमी छोड़ जायेंगे ,
जीवन में थोड़ी सी कमी छोड़ जायेंगे ,
जायेंगे जब यार तुमसे  दूर ,
हम एक प्यारी हंसी छोड़ जायेंगे ,
बसोगे जहाँ  तुम दुनिया के जिस कोने में ,
याद करना दिल से हम दौड़े आयेंगे ,
सागर के मौजों के जैसा वक़्त भी तो है
सागर के मौजों के जैसा वक़्त भी तो है ,
हम  हर पल  को अपना कर जायेंगे ,
ऐ दोस्त तुम्हारी कमी खलेगी बहुत
ऐ  दोस्त तुम्हारी कमी खलेगी बहुत,
जब  साथ न रहोगे तुम ,
तब हम तुम्हारे साथ जिए एहसास से ही
ज़िन्दगी बिताएंगे
जैसे भरते आये रंग आज तक
जैसे भरते आये रंग आज तक
कोरे पन्नो में तब भी बनाकर चित्र नए
रंग भर जायेंगे ,
ऐ  दोस्त ऐसे ही तुम्हे बस ऐसे ही प्यार कर जायेंगे।

~ प्रसनीत यादव ~

© PRASNEET YADAV